Kiran Mishra

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लेखनी कहानी -01-Jul-2023

दिल- ए -नादान

दिल-ए- नादान तुझको हुआ क्या है
अकेले में ही हॅंस पड़ते दुआ क्या है

आ चल तनहा घूम आते हैं गुलशन
गुमसुम से लहरें निहारते रखा क्या है

तुम इश्क़ में डूबे हुए हो गले तक ऐसे
रेत बनकर निकले ये माज़रा क्या है

चांदनी रात है और तुम ख़ामोश बैठे
अंधेरों के सफ़र में खूब रोया क्या है

ग़ैरों का शहर है दिल्लगी ना करना
यहाँ लोग पूछते हैं तेरा पता क्या है।
किरण मिश्रा #निधि#
आधेअधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियाँ

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सुन्दर सृजन

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